भोपाल। शिवराज सरकार ने कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। कैबिनेट ने बारिश-ओले से खराब होने वाली फसल के मुआवजे की रकम बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके अलावा बिजली विभाग में आउटसोर्स लाइनमैन को वेतन के अलावा हर महीने 1000 रुपए जोखिम भत्ता देने का फैसला भी लिया है। सरकार द्वारा ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के 1000 बिस्तर के अस्पताल में 972 नए पदों को भी मंजूरी दी गई है। उधर इंदौर में देवी अहिल्याबाई होलकर का स्मारक बनाने के लिए सरकार 1.215 हेक्टेयर जमीन प्रदान करेगी।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने क्या कहा?
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि राजस्व विभाग के अंतर्गत आरबीसी 6/4 में संशोधन किया गया है। जिसके बाद मध्यप्रदेश अब देश में सबसे अधिक फसल मुआवजा देने वाला राज्य बन चुका है।
साल 2023 घोषित हुआ इंटरनेशनल मिलेट ईयर !
बता दें कि कल यानी 25 अप्रैल को हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को स्वल्पाहार में पूर्व में प्रचलित खाद्य सामग्री की जगह श्री अन्न (मोटे अनाज या मिलेट्स) से बने व्यंजन परोसे गए थे। इनमें बिस्किट, सैंडविच, कटलेट, बाजरा, खिचड़ा, पापड़, खीर को शामिल किया गया था। सीएम शिवराज ने कहा कि साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल मिलेट ईयर घोषित कर दिया है।
फसल का मुआवजा नुकसान प्रतिशत के हिसाब से
25% से 33% फसल के नुकसान पर
वर्षा आधारित फसल के लिए 5500 रु. प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिए 9500 रु. प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा। बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने से कम अवधि में फसल नष्ट होने पर) 9500 रु. प्रति हेक्टेयर, बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने के बाद नुकसान होने पर) 16,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मदद राशि दी जाएगी। सब्जी, मसाले, ईसबगोल की खेती के लिए 19,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा।
33% से 50% फसल के नुकसान पर
वर्षा आधारित फसल के लिए 8500 रु. प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिए 16,500 रु. प्रति हेक्टेयर। बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने से कम अवधि में फसल नष्ट होने पर) 19,000 रु. प्रति हेक्टेयर, बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने के बाद फसल को नुकसान होने पर) 21,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। सब्जी, मसाले, ईसबगोल की खेती के लिए 27000 रु. प्रति हेक्टेयर, सेरीकल्चर (ऐरी, शहतूत और टसर) के लिए 6,500 रु. प्रति हेक्टेयर, मूंगा के लिए 8,000 रु. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।
50% से अधिक फसल के नुकसान पर
वर्षा आधारित फसल के लिए 17,000 रु. प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिए 32,000 रु. प्रति हेक्टेयर। बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने से कम अवधि में फसल नष्ट होने पर) 32,000 रु. प्रति हेक्टेयर, बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने के बाद फसल नष्ट होने पर) 32,000 रुपए प्रति हेक्टेयर, सब्जी, मसाले, ईसबगोल की खेती के लिए 32,000 रुपए प्रति हेक्टेयर, सेरीकल्चर (ऐरी, शहतूत और टसर) फसल के लिए 13,000 रुपए प्रति हेक्टेयर और मूंगा के लिए 16,000 रु. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।