भोपाल। विश्व की तीसरी और भारत की पहली लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी लैब महाराष्ट्र के हिंगोली गांव में बनने जा रही है। इसके लिए इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र को बतौर नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। इस तरह की सिर्फ दो लैब दुनिया में मौजूद हैं, जो दोनों ही अमेरिका के दो छोरों पर हैं।
2030 तक बनेगी लैब
आपको बता दें कि अब इसका तीसरा बिंदु भारत में बनने वाला है, जिससे पूरी पृथ्वी पर इन ग्रेविटेशनल वेव सेंसर का एक त्रिकोण बन जाएगा और ब्रह्मांड में किसी भी प्रकार की भौगोलिक घटना का बिलकुल सही आकलन यहां से हो सकेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि 2600 करोड़ की लागत से बनने वाली इस लैब को साल 2030 तक बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अमेरिका की लाइगो लैब से अनुबंध किया गया है।
‘एल’ आकार में बनेगी लैब
बताया जा रहा है कि हिंगोली में लैब ‘एल’ आकार की बनाई जाएगी, जिसकी हर भुजा 4 किमी तक लंबी होगी। दोनों भुजाओं के जोड़ पर ऑब्जर्वेटरी बनाई जाएगी, जहां से अंतरिक्ष में होने वाले ग्रेविटेशनल वेव्स में परिवर्तन का आकलन और ब्रह्मांडीय घटना का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। आपको याद हो कि यह दुनिया में तीसरी लैब होगी, जो पृथ्वी पर अमेरिका के ठीक दूसरी तरफ होगी। इससे तीनों लैब के बीच में एक त्रिकोणीय संरचना बनेगी और घटनाओं की सटीक जानकारी मिल सकेगी।