Thursday, November 21, 2024

मध्य प्रदेश: जानिए क्या है नगरकोट की माता के दर्शन का महत्व, पढ़िए पूरी खबर

भोपाल। सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन के माता मंदिरों का खास महत्व है। इन्हीं में से एक नगर कोट माता का मंदिर है। स्कंद पुराण के अवंतिका क्षेत्र महात्म्य में इसका जिक्र मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार 24 माताओं में से एक है नगर कोट माता का मंदिर। गोर्धन सागर के पास स्थित मंदिर में माता की मूर्ति भव्य और मनोहारी रूप में विराजमान है।

भव्य आरती का आनंद लेने आते हैं भक्त

मंदिर में सुबह और शाम के समय भव्य पूजा होती है. साथ ही नगाड़ों और घंटियों की गूंज मन को शांति प्रदान करती है। माता का आशीर्वाद पाने और इस ममोहक दृश्य को देखने के लिए यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. माता के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। माता के दर्शन पाकर श्रद्धालुओं की पीड़ा दूर हो जाती है।

माता का नाम क्यों पड़ा नगरकोट की रानी?

ऐसा कहा जाता है कि नगरकोट की रानी प्राचीन उज्जयिनी के दक्षिण-पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी हैं। बता दें कि राजा विक्रमादित्य और राजा भर्तृहरि की अनेक कथाएं इस स्थान से जुड़ी हुई हैं। माता की भव्य प्रतिमा और यह स्थान नाथ संप्रदाय की परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह स्थान नगर के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित है। इसलिए लोग माता को नगर कोट की रानी भी कहते हैं।

नगरकोट की रानी के दर्शन का महत्व !

स्कंद पुराण के अवंति खंड में वर्णित नौ माताओं में से 7वीं देवी नगर कोट की माता कहलाती हैं। यह मंदिर उज्जैन शहर की उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है। इस मंदिर में एक जलकुंड मौजूद है, जिसे परमारकालीन माना जाता है। मंदिर में एक अन्य गुप्त कालीन मंदिर भी स्थित है, जो कि महादेव शिव के पुत्र कार्तिकेय का है। ऐसा कहा जाता है कि उज्जैन में नवरात्रि में अन्य देवी मंदिर के दर्शन के बाद नगरकोट रानी के दीदार जरुरी है. इस मंदिर में रोज भारी तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ इकठ्ठा होती है। नवरात्र में यहां सुबह से लेकर रात तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

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