Wednesday, November 20, 2024

मध्य प्रदेश: किसान ने अपनी ही जमीन का मांगा हक तो, कर दी हत्या फिर…

भोपाल। इंदौर के नजदीक एक दलित किसान की हत्या का मामला सामने आ रहा है. बताया जा रहा है कि किसान की जमीन पर गांव के दबंगों ने अपना कब्जा जमा लिया. किसान अपनी जमीन का कब्जा लेने पहुंचा तो दंबगों ने उस पर आक्रमण कर दिया था। शनिवार को इलाज के दौरान किसान की मृत्यु हो गई। इस मामले में छह लोग घायल हो गए हैं।

किसके नाम पर थी जमीन?

बताया जा रहा है कि देपालपुर तहसील के ककवा गांव की 0.5 हेक्टेयर भूमि 2002 में अनुसूचित जाति के 25 व्यक्तियों को दी गई थी. पर बाबूसिंह राजपूत और उसके परिवार वाले भूमि पर अपना दावा कर रहे थे. जबकि जमीन पर कानूनी हक तो मायाराम बागरी का था. जब मायाराम कोर्ट के आदेश पर जमीन का कब्जा लेने के लिए वहां गया तो उस पर हमला कर दिया गया। जिसमें वह गंभीर रुप से घायल हो गया था। उसे उपचार के लिए एमवाय अस्पताल में एडमिट किया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इस हमले के दौरान सात किसान भी घायल हो गए थे।

कहां रहते थे मृतक मायाराम बागरी?

बताया जा रहा है कि मृतक मायाराम बागरी और अन्य घायलों समेत अनुसूचित जाति के सभी लोग पड़ोस के खिमलावदा गांव में निवास करते हैं और जब भी वे काकवा गांव में पट्टे पर आवंटित खेत को देखने के लिए जाते थे तो बाबूसिंह और उसके परिवार के सदस्य उनका विरोध करने में लग जाते थे। ऐसे में आरोपियों के विरूद्ध 2003 में भी मामला दर्ज कराया गया था।

जमीन को लेकर मुकदमा हारे थे बाबूसिंह

बाबूसिंह और उनके परिवार के सदस्यों ने दावा करते हुए कहा था कि काकवा गांव में जमीन पर मालिकाना हक उनका है। हालांकि वे सभी मामले हार गए क्योंकि जमीन सरकारी थी और अनुसूचित जाति के कुल 25 लोगों को पट्टे पर जमीन आवंटित कर दी गई थी, लेकिन बाबू सिंह ने जमीन कर कब्जा कर वहां मकान का निर्माण कर लिया था। जब मायाराम ने इस पर विरोध जताया तो उस पर हमला कर दिया। दलित मायाराम की उपचार के चलते मौत हो गई। इस मामले में प्रशासन ने मृतक के परिवार वालों को 50,000 रुपये और सभी छह घायलों को 20,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है।

बाबू सिंह के अवैध मकान को प्रशासन ने तोड़ा

आपको बता दें कि बाबूसिंह ने जिस अवैध मकान का निर्माण किया था, उसे प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया है. शनिवार को भारी पुलिस बल के बीच मृतक का अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें भीम आर्मी के विनोद यादव के साथ बागड़ी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परशुराम सिसोदिया व जिलाध्यक्ष नरेंद्र बागड़ी सम्मिलित हुए।

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