Monday, September 16, 2024

मध्य प्रदेश: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में गड़बड़ घोटाला ! पढ़िए पूरी ख़बर

भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 20 पेसा कानून जिला समन्वयकों और 89 ब्लॉक समन्वयकों को भर्ती किया है, जो सवालों के कठघरे में खड़े हो गए हैं। कहानी ऐसी है कि सरकार ने पहले तो भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। फिर मेरिट के आधार पर 890 अभ्यर्थियों की सूची बनाई गई थी। बाद में वक्त कम होने की बात कहकर प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया गया और कथित तौर पर भाजपा और उससे संबंधित संगठनों के कार्यकर्ताओं को नौकरी पर रख लिया था।

सवालों के घेरे में आई पूरी प्रक्रिया

बता दें कि यह पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल, मामला कुछ ऐसा है कि पंचायती राज संचालनालय ने अनुसूचित जाति के बहुमत वाले जिलों और ब्लॉक में पेसा कोऑर्डिनेटर भर्ती के लिए 2021 में विज्ञापन जारी किया था। इसे सेडमैप ने जारी कर दिया था। प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत मेरिट लिस्ट में 890 अभ्यर्थियों की सूची बनाई गई थी। जनवरी 2022 में इन 890 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। नौ से 11 फरवरी तक इंटरव्यू करवाए जाने थे। इसके एक दिन पहले यानी आठ फरवरी को पूरी प्रक्रिया ही बिना किसी वजह के रद्द कर दी गई। साथ ही इसे लेकर किसी तरह की कोई सूचना भी नहीं दी गई। जब सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों को ब्लॉक और डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर का प्रशिक्षण दिए जाने की खबर सामने आई तो अभ्यर्थियों को भर्ती के बारे में पता लगा। अब प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थी खुद को ठगा हुआ मान रहे हैं।

ऐसे हुआ गड़बड़ घोटाला !

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को 89 ब्लॉक्स में समन्वयक को भर्ती करना था। पेसा कानून इन्हीं ब्लॉक्स में इम्प्लीमेंट हुआ है। सेडमैप से पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। जब अभ्यर्थियों की सूची बनाई गई तो साक्षात्कार से एक दिन पहले पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया। एमपीकॉन को 20 जिलों में जिला समन्वयक और 89 ब्लॉक समन्वयक भर्ती करने के लिए कहा गया था। पंचायती राज संचालनालय के संचालक अमर पाल सिंह ने कहा कि समय कम था जिस कारण एमपीकॉन से आउटसोर्स भर्ती की गई है। जब एमपीकॉन से बात हुई तो एमडी की मीटिंग में होने की बात कहकर कहा गया कि आउटसोर्स का काम दूसरी एजेंसियों से होता है। एजेंसी का नाम बताकर कहा कि सुनील मार्कंडेय नाम के व्यक्ति की सेवाएं ली गई हैं। सुनील मार्कंडेय को फोन लगाया तो उन्होंने अखबार का नाम सुनकर तुरंत फोन काट दिया।

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