Saturday, November 23, 2024

बागेश्वर धाम पहुंचे सीएम शिवराज, कमलाथ ने भी टेका था मत्था

भोपाल: मध्यप्रदेश में चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है. साल 2023 के आखिरी तक मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है. ऐसे में राज्य की सत्ता में काबिज बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेसी खेमे में भी हलचल बढ़ने लगी है. तमाम पार्टियों के नेता जनता को रिझाने का कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करें तो देश में धर्म और धार्मिक गुरू ट्रेंड कर रहे हैं. ऐसे में कोई इनके आशीर्वाद से अछूता नहीं रहना चाहता. अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो राज्य में इन दिनों तीन बाबा सुर्खियां बटोर रहे हैं. इनमें बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री, पंडोखर सरकार और प्रदीप मिश्रा का नाम शामिल है. बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे थे. धर्म गुरुओं के मुद्देपर बीजेपी को घेरने वाली काग्रेंस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के बैनर तले मुख्यमंत्री बने कमलनाथ जब अपनी पार्टी के तमाम बयानों को दरकिनार करते हुए धीरेंद्र शास्त्री का आशीर्वाद लेने पहुंचे तो ये साफ हो गया कि आज भी राजनीतिक गलियारों में धर्मगुरुओं का रसूख कायम है.

शिवराज पहुंचे बागेश्वर धाम

अब जब कांग्रेस का कोई पूर्व मुख्यमंत्री बाबा के दरबार में पहुंच चुका हो तो ऐसे में राज्य की सत्ता पर काबिज वर्तमान का मुख्यमंत्री पीछे कैसे रह सकता है. वो भी तब जब पिछले आम चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. महाशिवरात्री के मौके पर बागेश्वर धाम सरकार ने 121 गरीब लड़कियों को सामूहिक विवाह का आयोजन किया था. इसी कार्यक्रम को जरिया चुनकर शिवराज सिंह चौहान भी धीरेंद्र शास्त्री के चौखट पर मत्था टेकने पहुंचे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी पहुंचे थे. बता दें कि शिवराज सिंह चौहान से पहले मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह भी बागेश्वर धाम में अपनी अर्जी लगा चुके हैं.

मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड

मध्यप्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें आती हैं. बागेश्वर धाम भी मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में आता है और छतरपुर बुंदेलखंड के पट्टी में आता है. बता दें कि बुंदेलखंड का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश और कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश में आता है. मध्यप्रदेश में आने वाले बुंदेलखंड के हिस्सों को कुल 5 जिलों में बांटा गया है. इन 5 जिलों में विधानसभा की कुल 26 सीटें आती हैं. इस लिहाज से बुंदेलखंड सियासी मायनों में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. ऐसे में तमाम पार्टियां बुंदेलखंड के वोटरों को साधने की जुगत में जुटी रहती है. ऐसे में बुंदेलखंड के वोटरों को साधने में पंडित धीरेंद्र शास्त्री अहम भूमिका निभा सकते हैं.

आदिवासी इलाकों में मुफ्त भागवत कथा

पंडित धीरेंद्र शास्त्री का कद मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में नेताओं की डूबती नैया को पार लगा सकती है. राज्य की कुछ आदिवासी इलाकों को छोड़ दिया जाए तो धीरेंद्र शास्त्री की प्रसिद्धि पूरे राज्य में फैली हुई है. ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री के जरिए पार्टियां अगामी चुनावों में वोटर्स को साध सकती हैं. पिछले दिनों अपने कार्यक्रम में धीरेंद्र शास्त्री ने ऐलान किया था कि वो आदिवासी क्षेत्रों में मुफ्त में भागवत कथा करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे आदिवासी और वनवासी भाई बहनों को धर्म लाभ हासिल होगा. प्रदेशभर में कुल 47 विधानसभा सीटों को आदिवासी आरक्षित रखा गया है. ऐसे में ये सीटें प्रदेश की सरकार बनाने या गिराने की क्षमता रखती हैं. आदिवासी बहुल इन क्षेत्रों में पार्टियों की कोशिश रहती है कि किसी भी तरीके से यहां के वोटरों में अपनी पैठ बनाई जाए.

पेसा एक्ट लागू

मध्यप्रदेश के आदिवासी वोटर्स को साधने के लिए तमाम पार्टियां अपनी-अपनी जुगत में जुटी हैं. शिवराज सिंह चौहान की भी लगातार आदिवासी वोटर्स को साधने की कोशिश रही है. हाल ही में शिवराज सरकार ने वोटरों को साधने के लिए पेसा एक्ट लागू किया है. इस एक्ट का प्रचार करने के लिए प्रदेश के तमाम इलाकों में यात्राएं भी निकाली गई थीं. वहीं कमलनाथ भी आदिवासी वोटरों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं.

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