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इस बैंक पर RBI ने लगाया लाखों का जुर्माना, नियमों का नहीं किया था पालन

भोपाल। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि बड़े जोखिम ढांचे से संबंधित निर्देशों का पालन न करने सिटीबैंक पर जुर्माना लगाया गया है। सीआईसी को क्रेडिट जानकारी प्रस्तुत करने में देरी करने के मामले में पेनाल्टी लगाई गई है। सिटीबैंक एन.ए. पर 39 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। बैंक का वैधानिक निरीक्षण किया […]

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RBI imposed fine
  • February 22, 2025 5:40 am IST, Updated 12 hours ago

भोपाल। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि बड़े जोखिम ढांचे से संबंधित निर्देशों का पालन न करने सिटीबैंक पर जुर्माना लगाया गया है। सीआईसी को क्रेडिट जानकारी प्रस्तुत करने में देरी करने के मामले में पेनाल्टी लगाई गई है। सिटीबैंक एन.ए. पर 39 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है।

बैंक का वैधानिक निरीक्षण किया गया

जानकारी के मुताबिक RBI ने कहा कि बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए वैधानिक निरीक्षण किया गया है। यह निरीक्षण 31 मार्च, 2023 तक इसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया गया था।
RBI के निर्देश का पालन न करने के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उस संबंध में संबंधित पत्राचार के आधार पर, सिटीबैंक एन.ए. को नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में देरी का कारण बताने के लिए कहा गया था। आरबीआई ने नोटिस में पूछा कि उक्त निर्देशों का पालन करने में विफल होने पर उन पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए।

नोटिस में बताया जुर्माने का कारण

नोटिस पर बैंक के जवाब और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद नोटिस जारी किया है। आरबीआई ने पाया कि बैंक ने बड़े जोखिम सीमाओं में कुछ उल्लंघनों की देरी से रिपोर्ट दी है। इसने क्रेडिट सूचना कंपनियों से अस्वीकृति रिपोर्ट प्राप्त होने के 7 दिनों के भीतर कुछ सेगमेंट से संबंधित सुधारित डेटा अपलोड नहीं किया। आरबीआई ने ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2021’ के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए भी पेनाल्टी लगाई थी।

इन कंपनियों पर लगा था जुर्माना

जेएम फाइनेंशियल होम लोन्स लिमिटेड पर 1.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड पर 6.20 लाख रुपये की पेनाल्टी लगाई गई थी। सभी मामलों में, आरबीआई ने कहा कि जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला सुनाना नहीं है।


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