भोपाल। इंदौर मेडिकल टूरिज्म में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इंदौर मेडिकल में कई देशों से लोग इलाज कराने के लिए यहां आते हैं। ब्राजील, साउथ अफ्रीका, सिएरा लियोन, फ्रांस, दुबई, पाकिस्तान, श्रीलंका के मरीज इलाज के लिए इंदौर आते हैं। इंदौर में इलाज का खर्च काफी कम प्रारंभिक तौर पर यह संख्या […]
भोपाल। इंदौर मेडिकल टूरिज्म में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इंदौर मेडिकल में कई देशों से लोग इलाज कराने के लिए यहां आते हैं। ब्राजील, साउथ अफ्रीका, सिएरा लियोन, फ्रांस, दुबई, पाकिस्तान, श्रीलंका के मरीज इलाज के लिए इंदौर आते हैं।
प्रारंभिक तौर पर यह संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन अगर मेडिकल वीजा प्रक्रिया आसान हो जाए तो यह संख्या बढ़ सकती है। शहर की इंटरनेशनल एयर कनेक्टिविटी बढ़ने से इंदौर मेडिकल टूरिज्म का बड़ा हब बन सकता है। कुछ महीनों पहले शहर के तमाम बड़े अस्पताल संचालक व प्रमुख डॉक्टर्स ने एक मीटिंग की थी। मीटिंग के बाद इस पर नए सिरे से काम करने की कोशिश शुरू हुई है। इंदौर में मेडिकल टूरिज्म बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि विदेशों के मुकाबले यहां इलाज का खर्च 30 से 40% तक कम है।
सर्जरी के मामले में तो ये 10 गुना तक कम है। फिलहाल यहां इलाज के लिए आ रहे ज्यादातर मरीज दूसरे देशों से है। यहां कई ऐसे मरीज भी इलाज के लिए आते हैं जिनका कोई इंडियन कनेक्शन नहीं होता है। हाल ही में यूके से एक नर्स स्पाइन का ऑपरेशन कराने के लिए यहां आई थी। उनके यहां आने की बड़ी वजह सर्जरी के लिए छह माह का इंतजार और ज्यादा खर्च था। इंदौर में आईडीए भी एक मेडिकल हब बनने की राह में है। जमीन को लेकर कुछ विवाद थे, जिनका अब निराकरण हो चुका है।
इंदौर को 2030 तक अपनी जीडीपी दोगुनी करने का लक्ष्य है। इसमें मेडिकल टूरिज्म का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। लगभग 28 देशों से मरीज इलाज के लिए भारत आते हैं। यदि यह मरीज इंदौर का रुख करें तो मेडिकल टूरिज्म के लिए यह बेहतर अवसर साबित हो सकता है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि इंदौर को देश के सबसे साफ शहर का दर्जा प्राप्त है। यहां 5 स्टार और 3 स्टार होटल्स भी मौजूद हैं। साथ ही यह ज्यादा भीड़ वाला शहर नहीं है और इलाज का खर्च भी काफी कम है।
एक्सपर्ट के मुताबिक यूएसए में एक बायपास सर्जरी का खर्चा 30 से 50 लाख रुपए तक का आता है। वहीं भारत में यह 5 लाख रुपए से भी कम में होता है। टियर 2 और 3 शहरों में यह लागत और भी कम होती है। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में 330 से ज्यादा निजी अस्पताल हैं। लगभग 5 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इस एक्सपर्टीज और इन्फ्रास्ट्रक्चर का सही इस्तेमाल हो तो स्थिति काफी बेहतर होगी।